Paramita Sarangi

Abstract Romance

4.4  

Paramita Sarangi

Abstract Romance

एक चांदनी रात

एक चांदनी रात

1 min
2K


अपने लिए

एक रात को ढूँढ रही थी

वो थी चाँद के आगोश में

उस रात में बादल था

तारे भी थे

समुद्र को तो जैसे पंख

लग गए थे


मैंने चाँद को देखा

मेरे भीतर के समुद्र में

उफान आने लगा

पता नहीं चला

मेरे आँखों के पानी में

ज्यादा नमक था या समुद्र में


होंठों से हँसी झांक रही थी

बाहर आने के लिए

मगर आजकल तो बुद्ध भी

भटक गये हैं 

अँधेरे में

दुःख में

अप्राप्ति में

लालच में

फिर हँसी की 

औकात क्या है, जो 

वह रास्ता ढूँढने की 

हिमाकत करे 


चलो मेरे शब्द सारे

रख लो अपने अर्थों को 

सम्भाल कर

व्याप्त है प्रेम की धारा

वो जंगल खत्म होने तक

चलो मेरे साथ

मैं दे दूंगी तुम्हें पता

एक चांदनी रात का।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract