कोई भी मौसम
कोई भी मौसम
कैसे अपने दिल को समझाऊँ
पिया कब आयेंगे
उसे क्या मैं बताऊँ,
दिल धड़क-धड़क कर कहता है
कैसे जी लेती है तू ऐसे
मरना चाहूँ पर मर न पाऊँ,
दिल न समझे
उसे क्या समझाऊँ...
सावन बरस बरस कर कहता
कैसे हुई सह लेती है तू ऐसे
बढ़ते दर्द को रोक न पाऊँ,
सावन क्या समझे विरहन को
उसे क्या समझाऊँ
आग जिआ की सह न पाऊँ,
पिया कब आएंगे
उसे क्या समझाऊँ..