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Indu Tiwari

Tragedy

4  

Indu Tiwari

Tragedy

कोई भी मौसम

कोई भी मौसम

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कैसे अपने दिल को समझाऊँ

पिया कब आयेंगे  

उसे क्या मैं बताऊँ,


दिल धड़क-धड़क कर कहता है 

कैसे जी लेती है तू ऐसे

मरना चाहूँ पर मर न पाऊँ,

दिल न समझे 

उसे क्या समझाऊँ...


सावन बरस बरस कर कहता 

कैसे हुई सह लेती है तू ऐसे

बढ़ते दर्द को रोक न पाऊँ,

सावन क्या समझे विरहन को


उसे क्या समझाऊँ

आग जिआ की सह न पाऊँ,

पिया कब आएंगे

उसे क्या समझाऊँ..


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