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Alka Ranjan

Tragedy Inspirational

4  

Alka Ranjan

Tragedy Inspirational

कन्या : सृष्टि की जान

कन्या : सृष्टि की जान

2 mins
395


माँ ! माँ !

कहते इक रोज मैंने सुना, 

अवाक होकर तब देखा इधर-उधर ,

पाकर किसी को भी न पास 

देखा अपने भीतर तब 

जैसे कुछ कह रही हो मुझसे

 मेरे भीतर पल रही नन्ही सी जान..

 माँ ! माँ !

 मैं हूं, तेरी बेटी माँ

 पूछूं तुझसे इक सवाल मैं माँ

 क्यों तुम सब तकती हो राह बेटे का 

जाने या अनजाने पर मैं तो हूँ एक बेटी माँ

 मैं हूँ तेरा ही अंश, लेकर आऊंगी तेरा ही रूप मैं माँ

तू जो दे इक मौका माँ

बेटे से कम न कभी पाओगी मुझको माँ ,

 हँसती हँसाती बन जाऊंगी तेरी खुशी मैं माँ ,

 झूमती गुनगुनाती कभी बन जाऊंगी परी मैं माँ,

 प्यार बाँटती बन जाऊंगी तेरे हर पल की सखी मैं माँ,

सपने तेरे जो अधूरे हैं, उसे पूरा कर जाऊंगी मैं माँ

 भर कर उड़ान एक दिन

 बन जाऊंगी अभिनेत्री या फिर ड्रेस डिजाइनर 

तू जो दे उच्च शिक्षा गर

बन जाऊंगी डॉक्टर या इंजीनियर मैं माँ

 मानवता के लिए जिऊंगी

 समाज कल्याण होगा ध्येय मेरा माँ

चिरूंगी नहीं किसी के कपड़े, ना हृदय मैं माँ

बेटा नहीं बेटी हूँ मैं माँ

सम्मान देना जानूँ मैं माँ

स्त्री हूं पर अबला नहीं मैं माँ

देश-समाज द्रोहियों से डटकर करूंगी सामना मैं माँ

बन जाऊंगी क्रांति की आवाज मैं,

शक्ति का स्रोत हूं मैं माँ,

बेटी हूँ पर पराया धन मुझको तू समझना न कभी माँ

भला जड़ से कभी जुदा हुई कोई डाली है माँ

होगी रीत यही पर मन प्राण से 

पाओगी मुझको तुम अपना ही माँ

फिर किसी रोज इसी परंपरा को दूंगी जन्म मैं भी माँ

आओ न, बता दें इस जग को

कन्या भ्रूण हत्या है पाप 

क्योंकि कन्या ही है सृष्टि की जान !


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