कमलाकांत स्तुति
कमलाकांत स्तुति
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हे अच्युत, माधव, हे नारायण
हे लक्ष्मीपति, हे जनार्दन
हे विश्वरूप, हे कमलाकान्त
हे मुकुन्द उर्वी पर तू विराज
हे हृषिकेश, विष्णु तुम महान
हे चक्रपाणि कर यातुधान संहार
हे उपेंद्र देख मही पर तेरी
हुताशन सा मचा है हहाकार
हे विश्वम्भर भेज वारिवाह
अब कर दे इला ये तेरी शांत
हे गोविंद बहा उदक सा रुधिर देवारि का,
हे विश्वरूप वसुधा के जन -जन को तार