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Abhilasha Chauhan

Drama

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Abhilasha Chauhan

Drama

कलम और ख्याल

कलम और ख्याल

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तन्हाई में उठते हैं अनेक सवाल

हर सवाल बन जाता ख्याल।


मचती हलचल होती बैचेनी,

कहना चाहूं बातें जो रही अनसुनी।


तब कलम बन जाती है साथी,

दिल हो उठता है जज्बाती।


कलम-ख्याल जब संग होते हैं,

जज्बात तब साकार होते हैं।


साथ दोनों का चोली-दामन सा,

धूप में नहाए हुए आंगन -सा।


निखर कर आती है तब कविता,

जैसे कोई बहती हुई हो सरिता।


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