कलम और ख्याल दर्शाते मेरे हाल
कलम और ख्याल दर्शाते मेरे हाल
कलम और ख्याल ही सदा दर्शाते हैं मेरे हाल
इस तरह स्वयं ही बिछा लेती हूँ मैं ऐसा जाल।
कलम चलती है और शब्द दिखाते हैं ऐसा कमाल
मन में लेती हूँ जब अनेक विचारों को पाल।
तो खुद को ही समझाती हूँ कि हे ऋचा !
आज का काम अभी कर, कल पर मत टाल।
आह या वाह में निरंतर कलम चलती है
आने लगता है तब शब्दों में उबाल।
अपने ही जब चलने लगते हैं अजीब चाल
तब सकारात्मक ऊर्जा के साथ
तेज करती हूँ अपनी भी चाल।
कलम और ख्याल कर देते हैं
हर बार मुझे मालामाल
किसी को कुछ न कहते हुए केवल
शब्दों को ही बनाती हूँ भाल।
तब एक-एक अक्षर मिलाने लगता है ताल से ताल
जीवन के सुख-दुख को लेती हूँ शब्दों में ढाल।
इस प्रकार बीतते जा रहे हैं एक नहीं अनेक साल
स्टोरी मिरर का तहे दिल से आभार
जिन्होंने लिया वर्तमान जन को संभाल।
हर कोई हो रहा है लालम-लाल
खिल रहे हैं सभी के गाल।
हर कोई लेखनी के माध्यम से
प्रकट कर रहा है अपना हाल
कलम और ख्याल विषय सच में बेमिसाल।