कितना सुंदर ये प्यार
कितना सुंदर ये प्यार
जानना है खुद को तो कर ले खुद से प्यार।
मिलना है खुद से तो तोड़ नफरत की दीवार।
देख कितनी प्यारी वसुधा,बरबस प्रेम लुटाती हैं।
गला गला कर खुद को ये,पोषण हमे दे जाती हैं।।
देख प्यारे,पंछी भी कितना प्यार सिखाते हैं।
चुन चुन दाना,कैसे अपने बच्चो को खिलाते हैं।।
क्या कभी रहा पल भर तू प्रकृति की गोद मे?
क्या देखा है कभी तूने,फूलों को मुस्कुराते हुए?
वृक्ष भी है कितने पावन, मलय सुगंधित दे जाए।
अपनी शीतल छांव में,प्रेम सुधा रस बरसाए।।
रिमझिम सावन भी आकर,हरियाली दे कर जाते।
कैसे फिर कवियों के,प्रेम गीत प्यारे रच जाते।।
यही तो है प्रेम प्यारा, वसुधा जो सिखाती हैं।
कांटो में खिलने का,संदेश प्यारा दे जाती हैं।।
कण कण से तुम प्यार करो,खुद तब तुम जानोगे।
कितना प्यारा यह जीवन,तब ही तुम पहचानोगे।