Dr Lalit Upadhyaya
Classics
पापा ने जिसे स्कूल में पढ़ाया,
बच्चे ने बुढ़ापे में वृद्धाश्रम पहुँचाया।
कितना बदल गया है दौर,
पापा को बुढ़ापे में संभालेगा कोई और,
यही है आजकल की कहानी,
बदलेगा सबका यूं ही ठौर।
कल्याणी है ना...
प्रकृति का मं...
उत्तर प्रदेश ...
वोट है जरूरी
ऊंट किस करवट ...
खेला होवे ?
चलें प्रकृति ...
माँ का आशीर्व...
घर में बीते ब...
क्या कहूँ?
कन्यादान की जगह कन्याविवाह कहने की रस्म चला दो बाबा ! कन्यादान की जगह कन्याविवाह कहने की रस्म चला दो बाबा !
सबके मन को यह है भाती, जैसे दोस्ती यारी। हिंदी मेरी सबसे न्यारी। सबके मन को यह है भाती, जैसे दोस्ती यारी। हिंदी मेरी सबसे न्यारी।
पापा मेरे सुख के दाता सबसे प्यारे मेरे पापा। पापा मेरे सुख के दाता सबसे प्यारे मेरे पापा।
अग्नि से ही शुरू होती अग्नि पर ही खत्म होती हम लोगों की जिंदगी। अग्नि से ही शुरू होती अग्नि पर ही खत्म होती हम लोगों की जिंदगी।
जज बना है साख़ भी इसकी बचा, फ़सलों को यूँ पलटना छोड़ दे। जज बना है साख़ भी इसकी बचा, फ़सलों को यूँ पलटना छोड़ दे।
लाना इस बार कुछ लम्हें मेरे हिस्से के साथ जो सदियों से उधार है तुम पर। लाना इस बार कुछ लम्हें मेरे हिस्से के साथ जो सदियों से उधार है तुम पर।
विश्व झुकेगा चरण पे इसके पाएगा तब नव रस धार। विश्व झुकेगा चरण पे इसके पाएगा तब नव रस धार।
क्या क्या न कहर ढाया मेरे दोस्तों ने। वो हम पर बार बेशुमार करते रहे।। क्या क्या न कहर ढाया मेरे दोस्तों ने। वो हम पर बार बेशुमार करते रहे।।
तुम जो आए मन -उपवन में फूल मुस्काए। तुम जो आए मन -उपवन में फूल मुस्काए।
हे वीणा वादिनी हम हैं बालक तेरे अज्ञान हाथ जोड़कर करे तेरी साधना। हे वीणा वादिनी हम हैं बालक तेरे अज्ञान हाथ जोड़कर करे तेरी साधना।
मुख पर चढ़ा राष्ट्रीय गान तो हृदय की आवाज राष्ट्रीय गीत है। मुख पर चढ़ा राष्ट्रीय गान तो हृदय की आवाज राष्ट्रीय गीत है।
सारी धरती लगे सुहागिन ओढ़ा जब हरियाली का आंचल। सारी धरती लगे सुहागिन ओढ़ा जब हरियाली का आंचल।
बेवजह अब मुस्कुराया नहीं जाता मुस्कुराहटें भला कब तक उधार लूँ ! बेवजह अब मुस्कुराया नहीं जाता मुस्कुराहटें भला कब तक उधार लूँ !
आदमी खुद को ही चुनौती दे रहा उसूलों की राह जो खड़ा आदमी है ! आदमी खुद को ही चुनौती दे रहा उसूलों की राह जो खड़ा आदमी है !
अब मेरी जिंदगी में कुछ भी नहीं, फिर भी जिए जा रही हूं। अब मेरी जिंदगी में कुछ भी नहीं, फिर भी जिए जा रही हूं।
त्रिकालदर्शी महातांडव अविनाश हो। शिव हो, शक्ति हो, चमत्कार हो। त्रिकालदर्शी महातांडव अविनाश हो। शिव हो, शक्ति हो, चमत्कार हो।
तंग भी कैसे कैसे हैं, सुख दुख बादल जैसे हैं। तंग भी कैसे कैसे हैं, सुख दुख बादल जैसे हैं।
ये घनाक्षरी समान छंद है प्रवाहमान। राचिये इसे सभी पियूष-धार चाखिये।। ये घनाक्षरी समान छंद है प्रवाहमान। राचिये इसे सभी पियूष-धार चाखिये।।
कायनात यूं हैरान करती है ख़ामोशी भी कितनी बात करती है। कायनात यूं हैरान करती है ख़ामोशी भी कितनी बात करती है।
मुझे ये हवाएँ अब तो बस यूँ ही बहे चले जा रहे हैं हवाओ के सहारे। मुझे ये हवाएँ अब तो बस यूँ ही बहे चले जा रहे हैं हवाओ के सहारे।