कितना अंतर है...
कितना अंतर है...


एक तुम हो जो कहती है प्यार है
एक मैं जिसके पास कितने सवाल है
अंदाज़ अलग है दोनो के फिर भी
तुम कहती हो हम एक जिस्म और जान है
तुम कहती हो विश्वास की डोर से बंधे है
हम दोनों का जन्मों जन्मों का साथ है
मैं अक्सर तुम्हारी बातें हँसी मे उड़ा देता हूँ
पर कहीं न कहीं अंदर एक एहसास है
बहुत शिद्दत से तुमने इश्क निभाया है
छोटे छोटे पलों से रिश्ते को बनाया है
मैं बेपरवाह हो इनसे किनारा करता हूँ
उल्टा सवाल तुमसे ही दोबारा करता हूँ
कितना अंतर है हम दोनों के इश्क में
मैं हमेशा कहता हूँ तुमसे कुछ तो पूछो
तुम कहती हो क्या पूछना है बताओ
फिर कहती हो
क्या सोचते हो ये बतलाओ
हौले से मुस्कुरा बिना कुछ लफ्जों से कहे
बोलती हो थोड़ा सा तो विश्वास दिखलाओ
मैं पूछता हूँ कितना प्यार करती हो मुझसे
तुम कहती हो पता नहीं पर प्यार करती हूँ
मैं फिर पूछता हूँ क्या कर सकती हो मेरे लिए
तुम कहती हो कुछ भी पर बता नहीं सकती
मैं चुप हो जाता हूँ तुम मुस्कुराती हो
तुम कहती हो इश्क मेरा है न क्यों घबराते हो
तुम्हें नहीं है तो फिर क्यों जताते हो
साथ हो यही काफी है अब नहीं कोई चाहत बाकी है
मेरा अब खुद से ही सवाल है प्यार है या नहीं मुझे
या सिर्फ ये अंजान समझता तुझे अपना गुलाम है
कितना अंतर है तुझमे और मुझमे....