किताबें
किताबें
हमारी ख़्वाहिशें, अब तक किताबों ने सँभाली हैं।
किताबों के बिना हम सब अधूरे हैं, सवाली हैं।
दिखे जाते हैं जिनके हाथ में महँगे कई गैजेट,
किताबों से उन्हीं के हाथ ये अब रहते खाली हैं।
किताबें आज भी हैं ज्ञान का सागर अगर समझो,
किताबें सूर, तुलसी दास, मीरा की प्रणाली हैं।
पढ़े बिन ज्ञान हासिल हो, अजूबा होगा ईश्वर का,
जो पढ़ने वाले हैं वो ज्ञान से रहते न खाली हैं।
किताबें तो सदा साहित्य का सागर "कमल" रहती,
हम इस साहित्य सागर के बड़े छोटे पखाली हैं।