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Devendraa Kumar mishra

Tragedy

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Devendraa Kumar mishra

Tragedy

किस्से तमाम हो गए

किस्से तमाम हो गए

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तेरे मेरे प्यार के किस्से तमाम हो गए 

हम न रहे हम, खाली सामान हो गए 

सामान जो बाजारों का है 

लाखों, हज़ारों का है 

गुम जाता या टूट जाता 

फिर मिल जाता 

दिल जो अपना है, बेशकीमती सपना है 

ये टूटा तो सब कुछ हराम हो गए 

टूटा पैमाना, जीवन खाली जाम हो गए. 

जितनी चाहत से बाजार को घर में लाए 

उतनी शिद्दत से एक दूसरे में होते समाय 

मकान टूटता, घर नहीं 

बाजार टूटता, दिल नहीं 

शायद हमसे प्यार के गीत

गाए न गए 

रिश्ते वफा के निभाए न गए 

जब प्यार करो सो बस प्यार करो 

दुनियादारी को एक तरफ धरो 

ये जाति, समाज, धर्म जब जब आए 

तने हुए इंसान हमेशा टूटे हुए पाए 

साजो-सामान की भीड़ में 

नफा नुकसान की दौड़ में 

सब कुछ पाया 

प्यार से महरूम रह गए 

तुम खो गए 

बस तन्हा तन्हा हो गए 

सामानों के बीच खाली आसमान हो गए 

प्यार के सितारे सारे खो गए



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