किस्मत और तुम
किस्मत और तुम
क़ाफ़िला जिंदगी का तेरी राह से जो गुजरा,
खुशबू इश्क़ की ऐसी महकी ,
लज्जत से जिसकी दिल की गलियां बहकी ,
किस्मत से हुई मुलाकात तुमसे ऐसी शगुफ़्ता हुआ जीवन का बागीचा ,
बात जुबां से कम और आंखों से हुई ज्यादा,
एक मुस्कुराहट ने तुम्हारी किस्मत बदल दी हमारी, एहतिराम में तुम्हारे नजरें अपनी झुका ली,
कैफ़ियत इश्क़ की वह ऐसी थी धड़कनों को मिल गई जुबां जैसी थी ,
लबों पर हल्की सी हंसी और चिलमन से झांकती आंखें हमारी बयां कर रही थी
राज-ऐ- दिल सारे,
इत्तेफ़ाक देखिए! उधर से भी आया जवाब ऐसा,
कि काफ़िला जिंदगी का हमारा बन गया आशिया तुम्हारा,
किस्मत से हुई जो तुमसे मुलाकात, गुरुर बन गया हमारा,
माथे पर दमकता है आज बन कर लाल सितारा, जोड़ियां जो आसमां पर उसने बनाई ,
धरती पर किस्मत ने उससे हमें है मिलाया,
इश्क़ के झोंके ने तुम से ताआरूफ़ कराया ,
सिंगार बन गए हो अब तुम हमारा,
किस्मत ने कैसे देखो हमें है सजाया ,
बयाबान जिंदगी को गुलिस्तां बनाया,
कुर्बत ने तुम्हारी पाक़ीज़ा हमें है बनाया,
एहसास नहीं उफ़ुक( क्षितिज) सा मिलन हमारा,
तिलिस्म ऐसा किस्मत ने रचाया,
आसमां को धरती से मिलन के लिए झुकाया ,
अनजान नहीं अब हम तुम रह गए ,
हमसफ़र बन कर जिंदगी के काफिले के संग बह गए,
किस्मत से तुम और मैं हम हो गए।