STORYMIRROR

Shubham Rawat

Abstract

2  

Shubham Rawat

Abstract

किसे पता

किसे पता

1 min
115

आज का दिन कुछ उदास है 

आने वाला कल किसने देखा

आज सफर में अकेले हो

कल किसका साथ मिल जाये

कल किसका हाथ छूट जाये 

किसे पता


कोई पुरानी बातों से आज तक नाराज है 

कोई दुश्मनों को भी पानी पिला रहा है 

हम ऐसे इंसान बन गये हैं 

दूसरे की खुशी से नाराज है


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract