किसान
किसान
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समय करवट बदलता रहता है,
किसान फिर भी वहीं खड़ा है,
समय डगर भी चलती रहती,
लेकिन जीवन पथ पर वह डटा है I
सूर्य निकलता फिर ढल जाता,
रयन गया दिन फिर बदलता है
हर पल हर दिन देखो बीत रहा,
किसान फिर भी वहीं खड़ा रह जाता है I
अपना सीना तान करता नहीं आराम,
बंजर धरती चीरकर नए अंकुर उगाता है,
मेहनत से अपनी मिट्टी में सोना उपजाता है,
उन फसलों से अपनी धरती को वह सजाता है I
हो जाए अच्छी फसल मन में उसकी आशा है,
जिसके लिए नित दिन वह धूप में जलता रहता,
करता मेहनत शिशिर में वह पिसता जाता है,
फसलों को उपजाना है लक्ष्य इसका रहता है I
दमक दामिनी कड़की इसकी फसलों पर,
बारिश ने जब जब कहर मचाया है
हर बाधाओं में धैर्य वह बांधकर रखता है ,
तिरंगे का रंग हरा भी हरियाली कहलाया है I
हर आंधी तूफानों में लक्ष्य न उसका खोता है,
पसीना ओस बनकर फसलों पर जब चमकता है,
उसे देख रोम रोम उसका खिल जाता है,
इसलिए भारत मेरा कृषि प्रधान देश कहलाता है I