किसान-?
किसान-?
ऐ किसान तू अन्नदाता है
तुझे ऐसा व्यवहार नहीं सुहाता है।
तू सींचता जिस मिट्टी को अपने पसीने से
कैसे उसे सना तूने खून के छीटों से
कुछ स्वार्थ में पडकर यूँ गलत राह न अपना
यूँ अपनी छवि को मिट्टी में न मिला
ये मिट्टी तेरा जीवन है तेरे माथे का गौरव है
हाथ में तेरे सजते नहीं ये हिंसा के औजार
ऐ किसान तू अपने भारत को यूँ न कर शर्मसार।
