ख्वाहिशों का पेड़
ख्वाहिशों का पेड़
सांसे थोड़ी और,
ज़िन्दगी के रास्ते लंबे,
ना जानें लगाए,
कितने मन के पेड़ ,
तमन्नाओं की शाखाएं,
लद जाती है,,
मीठी फलों से,
तोड़ने की खातिर,
गिरते पड़ते उम्मीदों,
के सांये अक्सर,
लटक जाते है
शाखों से,
पेड़ की सुराखों
से झांकते
ज़ख्म धीरे - धीरे भरते हैं,
फिर भी नहीं मिटती,
अनवरत प्यास,
मेहनत का फल,
जब पसीने,
से सींचा जाता तब,
उगते है असंख्य,
उम्मीदों के बीज,
हृदय के किसी कोने में,
मन में पड़ी मिट्टी,
में उगते है फिर,
ख्वाहिशों के पेड़.......