ख्वाब...
ख्वाब...
छूना नहीं है उचाई के मंजर को
जहाँ से नींव ना दिखे!!!
लिखना नहीं नाम उस फलक पे
जहा जमीन से पैर ऊपर उड़े!!!
ख्वाहिश इतनी है की ऊचाई के उस सिरे पहुंचे के,
जहां से पुरी दुनिया हमे और हम पुरी दुनिया को दिखें!!!
जम के मेहनत करेंगे इस बार इतनी के,
उड़ते पंछी की तरह अब बस हौसलों की उड़ान भरे!!!
बिना रूखे बिना थके हवा की गति से दौड़ करे ऐसी के,
बादलों की ऊंचाई तय कर विजय छीटों की बौछार करे!!!
भवरों और तितलियों की तरह आनंद का रस पी इतराए ऐसे के,
सुहावने मौसम में इंद्रधनु की भांति परिचित हो जीवन को रंगीन करे!!!
जमीन पर टिके रहकर परिश्रम की उड़ान कुछ ऐसे भरे के,
शिखर की ऊंचाई पर रेंगती उन हवाओं में भी सफलता की खुशबू बिखेरे!!