मेरे सपने...।
मेरे सपने...।
बेशक उम्र छोटी सी है,
और देखें बड़े बड़े सपने हैं,
पर विश्वास है खुद पर,
करूंगी हर सपने को साकार मैं,
बेशक मुश्किलें आएंगी बहुत,
पर हिम्मत नहीं हारूंगी मैं,
डटकर सामना करूंगी हर मुश्किल का,
क्योंकि सपने मेरे है पर पापा की दिन-रात की मेहनत है,
मां की न जाने कितने दिनों की नींद उड़ी है,
पापा ने न जाने कितने साल एक जोड़ी कपड़े में गुजारे हैं,
मेरे सपनों को अपना सपना बनाकर वो हर पल जीते थे,
और आज मुझे अपने सपनों को साकार कर,
उनके उस परिश्रम का मोल बताना है,
कि आज वो न होते उनकी वो मेहनत न होती,
तो न ये मुकाम मुझे मिलता न मेरा सपना पूरा होता,
आज उनकी मेहनत का परिणाम है मेरी ये मंजिल,
आज मां की रातों की नींद का परिणाम है मेरा वो आसमां,
जहां मैं आज अपने पंख फैलाकर उड़ रही हूं,
बेशक मेहनत मैंने भी की है पर मुझे हौसला आपने दिया है,
आप जो दिन-रात एक कर मेहनत करते थे,
उससे मुझे साहस और हिम्मत मिली,
कि मैं भी आपकी मेहनत को व्यर्थ न जाने दूं,
मैं वो मुकाम हासिल करके रहूं, जिस खातिर आपने,
अपनी खुशियां अपने सपनो को भुलाकर,
मेरे सपनों को पूरा किया।