हंसी मजाक चलने दो
हंसी मजाक चलने दो
आज जीवन,
तनाव से भरा हुआ,
जहां भी जाओ,
धोखा धडी,
और बेहिसाब हिंसा।
इसका एक ही उपाय,
हंसी मजाक को,
मिले प्रोत्साहन।
जितने भी,
व्यंग्यकार, हास्य कवि
और हास्य कलाकार,
इनको बढ़ावा दो,
जिससे ये लोगों को,
खूब हंसाए,
सत्ता पर,
टिका टिपण्णी भी करें,
और फिर समाज में,
प्रतिष्ठा पाएं।
कोई इनको,
नुक्सान न पहुंचाए,
इनकी पौध को,
खाद पानी से,
सींचा जाए।
ऐसा समां आ जाए,
हर शहर में,
नुक्कड़ नाटक हों,
गीत संगीत कविशालाएं हों,
हर सप्ताह अंत,
महफिलें सजें,
और हमारी संस्कृति,
फूल फले।