ख्वाब
ख्वाब
कल रात एक ख्वाब आया,
ख्वाब में एक चेहरा आया,
उस चेहरे में कुछ बात अजब थी,
कल की सपनों की रात गजब थी !
ख्वाबों की इस दुनिय में,
उसको देखा उसको जाना,
ज्यों -ज्यों वो करीब आई,
मेरे मन ने ली अंगराई,
हिरण सी चंचलता भी थी,
अलहर सा इठलाना भी था,
सपनों में एक चेहरा था,
या चेहरा ही एक सपना था !
ज्यों -ज्यों ख्याब आगे बढ़ा,
धड़कनें दिल की बढ़ती गयी,
ख्याब में जगाया उसने मुझको,
कह गया दिल के मै राज कई,
चुपके से दिल की बात कही
किसी से जो अब तक कही न थी,
वो बाते अब तक दिल मे थी,
कह गयी क्यों रखा था चुपा के,
अपने दिल को इतना तरपा के !
वो बातें जो उसने मुझसे कही,
मैं सुनता रहा कुछ कह न सका,
मेरी यादें जिसका कोई राज न था,
आज बचा न था मेरा राज कोई !
कहने की हिम्मत हैं नहीं,
सोचता हुँ कह दूँ आज यही,
प्यार किया है मैनें तुमसे,
अय्यासी और मज़ाक नहीं !
सुबह-सुबह जब आलार्म बजी,
ख्वाब टुटा और नींद खुलीं,
दुख मुझको इतना आज हुआ,
हर बीते पल का अहसास हुआ !