खुद से खुद की लड़ाई
खुद से खुद की लड़ाई
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हर रोज लड़ता हूँ खुद से,
खुद को रोज बनाता हूँ
खुद ही खुद को मिटाता हूँ
खुद की सपनों की दुनिया में रहता हूँ
इन सारे बनते मिटते सपनों में,
कभी हारता हूँ, कभी जीतता हूँ
सपनों में सपनें को सच होता देखता हूँ
कभी खुद को टूटते देखता हूँ
कभी खुद को गिरते देखता हूँ
हर रात बिखरते सपनों में
खुद ही खुद को जगाता हूँ
सपनों की इस दुनियां में
खुद को खोना चाहता हूँ
खुद को पाना चाहता हूँ।