अकेला हूँ, खुश हूँ
अकेला हूँ, खुश हूँ
क्लास के आख़िरी बेंच पे
अकेले बैठा करता था मैं,
क्लास का सबसे शान्त लड़का
एक दिन टीचर ने भरी क्लास में
बहुत खिंचाई की
भागकर बाथरूम जाकर
जोर से नल को शुरू करके
रोने के एहसास को याद करता हूँ
तो सोचता हूँ
'अकेला हूँ, खुश हूँ।'
इंग्लिश की ट्यूशन में
एक लड़की ने कॉपी क्या मांगी,
दोस्तों ने प्यार का टैग लगा दिया ,
टीचर के नाम बदलने से लेकर
दोस्त की सेटिंग कराने तक की
अजीब हरकतों को याद करता हूँ
तो सोचता हूँ
'अकेला हूँ ,खुश हूँ।'
कॉलेज में दाखिला हुआ
हरियाली सिर्फ पेड़ पौधों पे नहीं होती
ये पहली बार एहसास हुआ,
पीछे वाली बेंच पे बैठ के,
पीली वाली तेरी ,नीली वाली मेरी
जैसे अजीब बातों को याद करता हूँ
तो सोचता हूँ
'अकेला हूँ, खुश हूँ।'
एक समय ऐसा भी आया
मेरी जिंदगी में भी
इश्क़ का खुमार चढ़ा
गंगा घाट से लेकर पटना की हर
गली को उसके साथ जिया हूँ मैं
बस फर्क इतना था,
उसे सी सी डी की कैपूचिनो पसंद थी
और मुझे रोड साइड की टपरी वाली चाय
'व्हाई डीड यु ब्लॉक मी से लेकर,
प्लीज ब्लॉक मी'
तक के सफ़र को याद करता हूँ
तो सोचता हूँ
'अकेला हूँ, खुश हूँ।'
पच्चीस का हो चला हूँ मैं
जिंदगी में न तो कोई अब
छोकरी है न नौकरी
न कुछ पाने की चाहत है
न कुछ खोने का गम।
लेकिन सुबह सुबह
खुद को कम्बल में लपेट के
छः घंटे की बजाए दस घंटे सोता हूँ
तो सोचता हूँ
'अकेला हूँ, खुश हूँ।'