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PRIYARANJAN DWIVEDI

Others

4.9  

PRIYARANJAN DWIVEDI

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गौरैया

गौरैया

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आंगन में 

अचानक से 

सीढ़ियों पर 

आकर बैठ गई 

एक छोटी सी गौरैया...


मेरे देखते-देखते 

शैतान बच्चे की तरह

चढ़ने लगी सीढ़ियां

फिर पहुँच गई

मुडेर पर

झुक कर मुझे देखा

मैंने उसे देखा

जैसे उसने 

मेरा इशारा समझा

और चुगने लग गई

गेंहू के दानों को

जिसे माँ ने

रखा था सूखने

के लिए आंगन में

और कहा था 

मुझे इन्हें देखने 

के लिए...


पता नहीं कब

गौरैया की टोली

आ गई और

चुनने लगी अपनी 

छोटी छोटी चोंचों

से उन दानों को

चिड़ियों की चहचाहट

सुनकर माँ भी

आ चुकी थी

आंगन में...


उन्होंने मुझे देखा

देखते हुए गौरैया

को दाना चुनते हुए

मैंने फुर्र फुर्ररर..

की आवाज़ लगाई 

गौरैया भी 

कृतज्ञ नज़रों से 

मुझे देखकर

विदा हो गई 

कुछ दानों को

चोंच में भरकर


फिर कभी वो

गौरैया न लौटी

आंगन में,

माँ आज भी 

गेंहू सुखाती है

और कहती है

अब गौरैया नहीं

आती...


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