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PRIYARANJAN DWIVEDI

Drama

4  

PRIYARANJAN DWIVEDI

Drama

छोड़ो ना यार

छोड़ो ना यार

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छोड़ो ना यार क्या रखा है इस जमाने मे,

जो हुआ करते थे अपने, आज खो गए अनजाने में

किसी ने कसर ना छोड़ी दिल दुखाने में

आज भी मेरे आँसू दिख जाएंगे सिरहाने में

छोड़ो ना यार क्या रखा है सुनने और सुनाने में।


समझता था जिनकों कल तक मैं अपना

लगे है आज वहीं मुझे नीचा दिखाने में

कल तक जो मेरे साथ खड़े थे

इतराते है आज वो हाथ मिलाने में

छोड़ो ना यार क्या रखा है इस जमाने में।


करता था जिनपे सबसे ज्यादा भरोसा

लगे है आज वहीं मुझे गिराने में

मेरे सपनों का टूटने का ख्याल किसी को नहीं

वो लोग तो मशगूल है रंगरलिया मनाने में

छोरों ना यार क्या रखा है कविता सुनाने में।


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