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PRIYARANJAN DWIVEDI

Romance

4  

PRIYARANJAN DWIVEDI

Romance

तुम

तुम

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मेरे हर दिन का सवेरा तुम,

मेरे हर संध्या की आरती हो तुम,

रात की चांदनी भी हो तुम,

मेरी शायरी की अल्फ़ाज़ हो तुम


मंदिर की शंखनाद हो तुम,

मस्जिद की अजान हो तुम,

गंगा की लहरों में तुम,

हर सावन की पहली बारिश तुम


झीलों की गहराई तुम,

पहाड़ों की ऊँचाई तुम,

चिड़ियों की चहचहाट में तुम,

शीत की पहली ओस हो तुम


होली की रंगों में तुम,

दीवाली की रोशनी हो तुम,

मेरी अंदर तुम, मेरी बाहर तुम

मेरी हर कविता की सार हो तुम।


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