ख्वाब तुम्हारा आया नहीं
ख्वाब तुम्हारा आया नहीं
बहुत दिनों से तुमने सताया नहीं
बहुत दिनों से मैं मुस्कुराया नहीं
बहुत दिनो से मैं रूठा नहीं
बहुत दिनों से तुमने मनाया नहीं
बहुत दिनों से तुम बोली नहीं
बहुत दिनों से मैं घर आया नहीं
बहुत दिनों से नींद आई नहीं
बहुत दिनों से ख्वाब तुम्हारा आया नहीं
बहुत दिनों से खत मैंने लिखे नहीं
बहुत दिनों से जवाब तुम्हारा आया नहीं
बहुत दिनों से कब्र पर तू आई नहीं
बहुत दिनों से किसी ने गुलाब चढ़ाया नहीं।।