STORYMIRROR

Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance Thriller

4  

Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance Thriller

ख्वाब में इश्क

ख्वाब में इश्क

1 min
278

कैसी दुनिया है ये ख्वाबोंकी,

तूं ख्वाबमें मुजे नजर आ गई, 

तेरी नजर मुजसे मील गई और,

मेरी जीने की उम्मीद बढ गई।


अजब कयामत है तूं खूदाकी

तूं रोम रोम मुजको लहरा गई,

तन्हाईयांँ मन की दूर हुई और,

ईश्ककी शहनाईयां बजा गई।


मल्लिका लगती है तूं हूश्नकी,

मुजे बेसूमार हूश्नमें बहा गई,

मेरे मनमें मदहोंशी छाई और,

मुजे बेहोश बनाकर डूबा गई।


जादूभरी नजर है तेरे नैनों की,

जो मुजको तूं घायल बना गई,

तड़प बढी तेरे मिलन की और,

तूं ख्वाबोंमें मुजे छोड चली गई।


आज कैसा चमत्कार हुआ की,

तूं मुजे मीलने के लिये आ गई,

मेरी बांहों में तूं सिमट गई और,

"मुरली" का ख्वाब पूरा कर गई।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance