"खूब बढाओ मान "
"खूब बढाओ मान "
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कैसी बनी विडम्बना,कैसा है यह न्याय
सब समान होते हुए,खूब हुआ अन्याय
खूब हुआ अन्याय,मनुज ने किया किनारा
घना चलावे तीर ,फिरे समलैंगिक मारा
ठीक करो बर्ताव,लगे वह सबको पावना
खूब बढाओ मान,हटाओ यह विडम्बना।