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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Tragedy Fantasy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Tragedy Fantasy

खुशियों की तलाश में : एक ग़ज़ल

खुशियों की तलाश में : एक ग़ज़ल

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खुशियों की तलाश में : एक ग़ज़ल 

खुशियों की तलाश में हमने भर लिए गम दामन में
हंसी भी सिसक रही है अधरों के सूने आंगन में । 

जब से तेरा आंचल फिसला है मेरे हाथों से 
जल रहा है दिल मेरा इश्क के बरसते सावन में । 

तू थी तो वक्त की कद्र न थी, अब वक्त है तू नहीं
सच की तलाश कर रहा हूं झूठ के इन पहाड़न में । 

ख्वाबों के पीछे भटक रहे, हकीकत को ठुकराया
जमाने के सितम झांक रहे मन के काले दागन में । 

हर कदम पर छलनी हुईं उम्मीदों की नाजुक डोरियां
हर रोज बढ़ जाती है टीस की थोड़ी मात्रा घावन में । 

सुकून की एक बूंद को तरसता है दिल होके बेकरार
मिली सिर्फ आंसुओं की बरसात झूठे प्रेम की छाँवन में । 

तेरे बिना हर सांस अधूरी, हर धड़कन बेकल सी है
सारी उम्र गुजर गई , यही बात मन को समझावन में । 

अब तो बस एक तमन्ना बाकी है, दिल के कोने में "श्री हरि"
नजरों से छू ले जो तू, तो लौट आए बसंत मन के कानन में । 

 श्री हरि 
26.7.2025  


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