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Rekha Shukla

Drama

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Rekha Shukla

Drama

खुशी

खुशी

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रोशनी से पहले तेरा चले जाना

रोशनी के बाद ही वापस आना


सूरज ढल गया तब काम से आया

शाम को गले लगाये सोया साया


ये लगाव ये धुप-छांवका दबे पांव आना

ये तेज भागती रफ्तार का स्पीड ब्रेक होना


ताश के पत्ते के महल का पतझड 

पन्ने सा गिरना

हां ठहरी हूँ मैं एक आश लिये कि

बसंत बहार तुम आ जाना


कब से है खुशी ठहरी एक पांव पे 

अब तो करीब आ ही जाना।


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