खट्टे हरे टिकोरे
खट्टे हरे टिकोरे
आई आंधी देख भागते,
घर से सारे बच्चे |
लड़ते – लड़ते बाग पहुँचते ,
पर हैं मन के सच्चे |
गिरते आम टिकोरे लेकर,
चट – चट जीभ चिटोरें |
बिन छीले ही खाते उनको,
मिलकर खूब बटोरें |
कुछ ने जेबों में ठूँसे हैं,
खट्टे हरे टिकोरे |
कुछ दौड़े आये हैं लेकर,
घर से बड़े कटोरे |
बस आमों के मौसम में तो,
मस्त सभी हो जाते |
पहले कच्चा और बाद में,
पक जाने पर खाते |