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Asha Pandey

Drama

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Asha Pandey

Drama

खट्टे हरे टिकोरे

खट्टे हरे टिकोरे

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आई आंधी देख भागते,

घर से सारे बच्चे |

लड़ते – लड़ते बाग पहुँचते ,

पर हैं मन के सच्चे |


गिरते आम टिकोरे लेकर,

चट – चट जीभ चिटोरें |

बिन छीले ही खाते उनको,

मिलकर खूब बटोरें |


कुछ ने जेबों में ठूँसे हैं,

खट्टे हरे टिकोरे |

कुछ दौड़े आये हैं लेकर,

घर से बड़े कटोरे |


बस आमों के मौसम में तो,

मस्त सभी हो जाते |

पहले कच्चा और बाद में,

पक जाने पर खाते |



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