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Asha Pandey

Drama

5.0  

Asha Pandey

Drama

मैं एक नदी

मैं एक नदी

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मैं एक नदी

तटों – बांधों का नियंत्रण सहती

दुःख को समेटती

सुख को बिखेरती सींचती, उगाती

अनवरत श्रमरत हूँ

मुझे डुबाने का प्रयास सतत जारी है

किंतु मैं स्थिर हूँ |


आता है उफान अंतस में मेरे भी

किंतु संयम रख लेती हूँ

ताकि कल-कल की स्वर-लहरी का

संगीत फूटता रहे

पथिक ले सकें विश्राम मेरे आंचल में |


फूटती रहें असंख्य प्रेम-धाराएं

जो हरा – भरा कर दें

सूखे बंजर हृदय को |


युगों-युगों से

पाला गया ये भ्रम

कि रोक देंगे मेरी निर्बाध गति को

पोसती रही मैं खुश होकर

क्रोध में उफन पडूं

और डुबो दूँ बह्मांड


ये शक्ति है मुझमें

किंतु सृष्टि चलती रहे

और सभ्यताएँ फैलती रहें

इसलिए मैं स्वयं ही डूबती हूँ

और डूबती ही जा रही हूँ

स्वयं की अथाह गहराई में |



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