खता क्या हुई...
खता क्या हुई...
हमे अनदेखा करके ,
चली जा रही हो ,
क्या पता तुम्हे,
दिल मे कितना समा रही हो ...
रोके रुके ना राहे जिंदगी की ,
कदम कदम रुला के ,
खुद अपने आप मे ,
हसी जा रही हो ...
कैसे दूँ बद दुवाँए ,
जो दिल लगाया कभी ,
मांगा था भगवान से ,
यु दुआओं में रुलाये जा रही हो ...
खता क्या हुई ना कहा कभी ,
दिल किसी और से लगाया ,
सुलगा के दिल मे चिंगारी प्यार की,
हमे उसी आग में जलाये जा रही हो ...