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Amit Kumar

Romance

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Amit Kumar

Romance

खनक

खनक

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उसके बोलों की खनक

जिसने पहले चौंकाया था मुझको

फिर सताया था मुझको

और बहलाने लगी फिर वो।


मेरी तन्हाइयों को अक़्सर

कोई नहीं जानता

इस खनक की खनखनाहट

यह वही समझ सकता है,


जो दिल के पहलू में

ज़ज़्ब ज़ज़्बातों के समंदर को

ख़ामोश रखना जानता हो।


वो भी यही कहते हैं

ख़ामोशी से मुझसे

ऐसा लगता है मेरा दिल

पहले से आपको

जानता है।


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