खजाना कहाँ है ....
खजाना कहाँ है ....
खजाना कहाँ है धरती के
गर्भ में बहुत भीतर
सागर की गहराइयों में
बहुत गहरे
मिलते हैं बहुमूल्य मोती
कई बार पर्वत की चट्टान
में या किसी खान में
में मिल जाता है बहुत सा सोना
यही नहीं नदी की मिट्टी में
मिल जाते हैं सोने के कण
और वन मे जो पाई जाती है
वन संपदा वह भी खजाने के है समान !
धरती भी उगलती है अनाज के रूप
में सोना
खेत खलिहान भी हैं खजाने के समान !
और ये जो तेल है लोहा है खनिज हैं
ये सब भी हैं खजाने के समान !
जो प्रकृति देती है मनुष्य को भर भर
हाथ पर मानव कहाँ समझ पाता है ?
वह ढूंढता रह जाता है
और उसका सारा जीवन दुुख में
बीत जाता है कि खजाना कहाँ है ?
