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Sunita Shukla

Fantasy Children

4  

Sunita Shukla

Fantasy Children

खजाना और जिन्न

खजाना और जिन्न

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बचपन मे हम देखा करते थे अक्सर

एक सुंदर सा सपना।

जिसमें होती प्यारी सी एक राजकुमारी

और उसका एक राजकुमार।।


एक रात मैंने जो देखा वो था बड़ा अजूबा

नींद चढ़ी थी आँखों में और मैं सपनों में डूबा।

राजकुमार और राजकुमारी दोनो सैर पर निकले

पहुँच गए थे चलते-चलते जंगल के बीचों-बीच ।।


लंबे-लंबे पेड़ों से टकराते हवा के बहते झोंके

आगे थाह पाने की खातिर थे घोड़ों को फिर रोके।

सूरज की कुछ किरणें जो झांक रही थी पत्तों से

उसी दिशा में बढ़ते गये वह बड़े अनमने मन से।।


यूं ही भटक रहे थे दोनों और थोड़े थे घबराये

यूँ तो दोनों वीर बड़े थे पर डर के दिखते साये।

घोड़े चलते टप-टप करते थे तभी अचानक ठिठके

गुफा खड़ी थी बड़ी सामने वो दोनों भी वहीं रुके।।


घोड़ों को वहीं पर बाँधा और गए गुफा के अंदर

पलकें भी न झपकीं ज्यों देखा रत्नों का बड़ा समंदर।

हीरे-मोती, मूंगा-माणिक, अनगिनत वहाँ थे रत्न धरे

आभूषणों की स्वर्णिम आभा से दमक रहीं दीवारें। ।


बर्तन भी सोने चांदी के और रत्नजड़ित थे रखे नगीने

दोनों ने की कोशिश छूने की तभी आवाज एक थी आई।

बहुमूल्य खजाने के विस्मय में दोनों थे कुछ भूल गए

पास खड़ा एक जिन्न वहाँ था दिखता भारी भरकम।।


साँसें बँध गईं बदन अकड़ गया मुँह से निकले न शब्द

जिन्न खड़ा था बाँधे हाथ वहाँ और वो दोनों स्तब्ध।

हुक्म आपका सिर माथे पर बोलो मेरे आका

यहाँ की सारी धन दौलत के आप ही हैं अब मालिक।।


सुनकर जिन्न की बातें उनको विश्वास नहीं था होता

जो पहले आयेगा गुफा के अंदर वो मालिक बन जाये।

इतने सालों न किसी को देखा, तब जिन्न ने राज ये खोला

समझ खजाने का रहस्य दोनों खुश थे और सभी मुस्काये।।


सपना मेरा खत्म हो गया नींद भी हो गई पूरी

अब बिस्तर से उठना होगा स्कूल भी है जरूरी।

पर मन में सोच रहा मैं काश ये सच हो जाये

ऐसा ही एक बड़ा खजाना मुझको भी मिल जाये।।


बचपन की वो बातें और सपने माना हुए पुराने हैं

पर आज भी मन में उस खजाने का सपना पाले हैं।

काश वो जिन्न मुझको मिल जाता 

और वो मेरे हुक्म बजाता।।


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