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Brajendranath Mishra

Drama

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Brajendranath Mishra

Drama

खिली-खिली रहो

खिली-खिली रहो

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खिलखिलाकर हँसती रहो,

तुम खिली खिली रहो।

मुझे हँसते हुए लोग

अच्छे लगते हैं।


चाहे उनकी हँसी

मेरा मजाक ही उड़ाती हो।

पर तुम मेरा मजाक नहीं

उड़ा रही,

मुझे मालूम है।


तुम मुझे भी हँसाना चाह रही हो

जो तुम चाह कर भी

नहीं कर सकती।

क्योंकि अगर मैं हँस भी दूँ,

तो मेरी हँसी दिखेगी नहीं,

मेरा चेहरा ही ऐसा है. मुझे मालूम है।


पर तुम हँसती रहो,

खिलखिलाती रहो।

मेरे साथ खेलकर अठखेलियाँ,

खिली-खिली रहो !

खिली-खिली रहो !


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