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Tanha Shayar Hu Yash

Romance

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Tanha Shayar Hu Yash

Romance

'ख़त'-तनहा शायर

'ख़त'-तनहा शायर

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लिफाफे में लिपटे ख़त की आरज़ू थी,
कि बस वो तुम्हारे हाथों में आता…

तुम्हारी एक नज़र से लिफ़ाफ़ा खुल जाता,
शब्द उभर आते गीली पलकों के पास,
लिखा हर शब्द पिरोया करीब नज़र आता,

लिफ़ाफ़े में लिपटे ख़त की आरज़ू थी,
कि बस वो तेरे लब से पढ़ा जाता…

तेरी आँखों की नमी करती नरम शब्द,
लगा रहता तुम्हारे सीने से प्यार बनकर,
जब याद करते, ख़त आँखों में उतर आता,

लिफ़ाफ़े में लिपटे ख़त की आरज़ू थी,
कि बस वो दो अश्क पीकर टुकड़े हो जाता...

पन्ने न बिखरते ज़िन्दगी की बनकर ख्वाहिश,
जो ना जानी होती खुद से क्या है तेरी फ़रमाइश,
जब याद आती, ख़त पन्नो-सा किताब में जुड़ जाता, 

लिफ़ाफ़े में लिपटे ख़त की आरज़ू थी...


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