ख़ामोशी से
ख़ामोशी से
कुछ बात कही थी उसने हमसे बड़ी ही ख़ामोशी से
भरी महफ़िल में आवाज दी उसने बड़ी ख़ामोशी से
क़दमों की आवाज सुन जब दिल में हलचल होती
वो दिल में हमारे यूँ उतर आते बड़ी ही खामोशी से
सोचा उनकी इस अदा को कविता में पिरो दूँ कहीं
चल रही कलम हमारी कागजों में बड़ी ख़ामोशी से
कई दिनों से जो बात लब पर आज बात दूँ उनको
कब से उन्हें निहारता जा रहा मैं बड़ी ही खामोशी से
जानते इतिहास में कई प्रेम कहानियाँ अमर हो गई
हमारी प्रेम कहानी होगी अमर पर जरा ख़ामोशी से
ये छोटी सी ही प्रेम कहानी हमारी रंग लाएगी जरूर
कह देंगे अपनी हर बात उनको हम जरा ख़ामोशी से।