खेल खेल में
खेल खेल में
खेल खेल में
खेल खेल में खेल रहे हैं
आज़ का रेवड़ी बाजार,
इलेक्शन आया नहीं कि
खेलते हैं अपनी बाज़ी,
एक दूसरे पर कीचड़ उछालना
बांटते हैं रेवड़ी वचन,
लोभ लालच के दल दल में
फंस जाती है बेचारी जनता,
खेल सब का ज़ारी है
एक पर एक भारी,
कभी खेलते थे हम
गिल्ली डंडा और खो खो,
आज़ खेलते हैं मोबाइल गेम,
खेल खेल में खेल रहे हैं
आज़ का रेवड़ी बाजार ।
