खबरें आजकल
खबरें आजकल
आजकल खबरें पुरानी भी
नयी नयी सी हैं
कुछ लोग राममंदिर बना रहे है
कुछ लोग जै श्रीराम का नारा लगा रहे हैं
कुछ राम का भजन कर रहे हैं
कुछ लोग राम में रमे हुये हैं
तो कुछ लोग राम से बात कर रहे हैं
एक राम हैं जो
सबके हैं
और सबको देख रहे हैं।
आप उन्हें देखें न देखें
उनके बिना आप का अस्तित्व नहीं है।
कुछ लोग आंदोलन कर रहे हैं
दिलचस्प है ये आंदोलन
अब तक के सारे आंदोलनों
से भिन्न कि इस आंदोलन की कोई मांग नहीं है
जैसे कि फंसा हुआ हो कोई पहिया
विचारों के दलदल में
और अड़ा हुआ
नये कृषि कानून के इनकार से
नारा लगा रहे हैं
नहीं चाहिये, नहीं चाहिये
नया कृषि कानून नहीं चाहिये।
बौद्धिक ब्यायम भी पुराने हैं
शीत युद्ध की समाप्ति के बाद
शीत युद्ध से घिरे घिरे
वही पूंजी वही वाद
वही राज्य वही साम्राज्य
वही सम्राज्यवाद
नारे नये हैं
भारत बदल रहा है
और अपनी मनुष्यता के स्थापित
ऐतिहासिक भूमिका की ओर
लौट रहा है
दुनिया को करोना के कहर
से बाहर निकाल रहा है
और पूंजी पुराने हाथों से निकलकर
नये नये हाथों में जा रही है
राजनीति अपने ढर्रे पर है
और भारत बदल रहा है।
खबरें और भी हैं
संसद में घर के खर्चे के
बजट की
तरक्की की
सुरक्षा की
उम्मीद है राम की तरह
किसान भगवान भी
खुश हो सकते हैं।
जैसे आजाद देश की
औपनिवेशिक ब्यवस्था
और विचार दाता मनुष्य की
वैचारिक गुलामी
सारी विचारों के भंवर में
मनुष्यता का एक टापू
निर्जन, शीतल
रहने लायक बनता हुआ
और कुछ नये वास्कोडिगामा
वहाँ का अद्भुत नजारा
देख रहे हैं
और तकनीकी समृद्धता के उपकरण
उसे शेष दुनिया से जोड़ने की
कोशिश कर रहे हैं
फर्क करते हुये
सूचना और सन्देश में
आज तो बस इतना ही।
