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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Classics

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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Classics

कहानी अधूरी ही सही

कहानी अधूरी ही सही

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कहानी अधूरी ही सही, पर है बड़ी सुहानी,

हजारों उतार चढ़ाव देखे , है जानी पहचानी,

कभी खुशियों में बीते, कभी पड़े कष्ट उठानी,

कहीं बचपन झलकता, कभी आती है जवानी।


पढ़ते हैं कहानी, मन हो प्रसन्न, बहुत मजेदार,

जिंदगी में जीत भी होती, कभी होती जन हार,

कहानी कभी ऊंचाई पर, गहराई मिलती कहीं,

पर विभोर कर देती है, कहानी अधूरी ही सही।


मुश्किल से तुम आई थी, चली गई साथ छोड़,

मझधार में डूब गये हैं, बच गई है जीवन दौड़,

छोड़ गई अधूरी कहानी, आफत मिलती है कहीं,

अब यह अधूरी रह गई, कहानी अधूरी ही सही।


आज जमाना ताने देता, कैसी जिंदगानी है पाई,

साथ छोड़ गये राह में, जग में हो रही है हँसाई,

पर कौन किसी का साथ देता, जाना पड़े जरूर,

धरा को छोड़कर जाते, मिट जाते हैं सभी गरूर।


क्या क्या रोचक कहानी होती, रह जाती अधूरी,

लाख कोशिश करता जन, पर नहीं होती है पूरी,

आज जमाने की एक सच्ची कहानी मैं कहता हूं,

चाहे वो साथ छोड़ गई है, पर दिल में रहता हूं।


मेरी कहानी सुनते, कभी वो कहानी बन जाएंगे

आज वो हम पर हँसते, कल उन पर भी हँसेगे,

आज जो मुझे ताने देते, कल उनको ताने भी देंगे,

अधूरी कहानी मेरी सही, एक दिन इसे पूरी करेंगे


जिंदगी होती एक कहानी, सुनाके जाना होता है,

चाहे कितना हँस ले आज, एक दिन जन रोता है,

कभी नहीं किसी पर हँसना, वरना रोना पड़ जाये

जितनी मार किसी को देते, उतनी मार खुद खाये।


अमर कहानी कोई नहीं, रह जाती हैं सब अधूरी,

हिम्मत चाहे लाख करो, नहीं हो सकती वो पूरी,

मरकर इंसान अमर हो जाये, वो खूब कहाता है,

अधूरी कहानी पूरा करने, जन बार बार आता है।।


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