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Bhawna Kukreti

Romance

4.0  

Bhawna Kukreti

Romance

कहाँ ??

कहाँ ??

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कहाँ 

रख दिये है

तुमने वो जज़्बात

जिन्हें कभी 

बांटा करते थे

धीरे धीरे।


वे खत्म

तो नहीं हुए होंगे

क्योंकि

दिल अब भी 

धड़कता है

यहां ।


सोग सा

क्यों लग रहा 

जिस्म में

सांसे तो चल रही है

रूह को 

घुटन क्यों

हुई।


लफ्ज़

और वो सब 

बेमतलब का

उलझना

फिर खुद ही

समेटते हुए

कहना

कोई नहीं।


सब 

कहाँ रख

दिए है?

तुमने भी नही

मैंने भी नहीं 

शायद

समय ने ही

रख लिए!!


हमने 

समय की कद्र

नहीं की थी

न! 



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