कहाँ गया साथी मेरा
कहाँ गया साथी मेरा
जब गया था साथी मेरा
दिल के आँगन घेरा-घेरा
आँसुओं की बारिश में
वह गया था बासी बेरा
जब गया था साथी मेरा
जिस गाँव के सड़क पे
उसके पाँव का बसेरा
उस सड़क को सुना करके
निकल गया, निपट अकेला
उस सड़क को आशा देकर
जब गया था साथी मेरा
बोला था बंबई की राहें
भूख से हमें बचाएंगे
जब हाथ में होंगे दो पैसे
तब इज्जत हम कमाएंगे
ये शब्द बोलकर शहर
जब गया था साथी मेरा
बीत गया कितना पहर
उस पहर में कितनी यादें
सब यादों में सईया मेरा
चाँद सा काहे आधा-आधा
सारा सिंगार को लेकर मेरा
जब गया था साथी मेरा