कहाँ गए वो लोग
कहाँ गए वो लोग
जाने कहाँ गए वो लोग,
वतन से मोहब्बत किया करते थे।
जाने कहाँ गए वो दिन,
वतन पर ख़ुद को मिटाया करते थे।
जाने कहाँ गए वो वीर,
सब कुछ वतन पर लुटाया करते थे।
यहीं पर सुबास, यहीं पर आजाद,
यहीं पर भगत सिंह हुआ करते थे।
जाने कहाँ गए वो जन,
आज़ादी की अलख जगाया करते थे।
आज़ादी को पाने की ख़ातिर,
सिर भी हँस हँस कटाया करते थे।
उनके शहादत के पावन दिवस पर,
हम यादों के दीये जलाया करते हैं।
आँखों से आँसू निकलते है बरबस,
सम्मान में सिर को झुकाया करते हैं।
उन माँओ के चरणों में शीश झुके,
जो ऐसे वीरों को जना करती हैं।
धन्य है भारत वर्ष जहाँ पर,
ऐसे बहादुर हुआ करते हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर याद आते वो लोग,
उन्हें न कभी हम भुलाया करते हैं।
उनकी वीरताएँ अमर हो गई हैं,
जिसे हम अक्सर सुनाया करते हैं।
