खामोशियाँ
खामोशियाँ


मेरी खामोशियों को
सुन तो लो ज़रा,
कहती हैं क्या तुमसे,
एक पल ठहर तो लो ज़रा।
मेरी आँखों को तुम
पढ़ तो लो ज़रा,
लिखती हैं रंगीन ख़्वाब,
आकर मिल तो लो ज़रा।
मेरी ज़ुल्फों की उलझन
ज़रा खोल दो ज़रा,
कैद हैं तुम्हारी यादें,
कुछ सच कर दो बयां।
मेरे चेहरे को नयी
रंगत दो ज़रा,
जो खिलता है तुमसे,
वो संगत दो ज़रा।