खामोशी
खामोशी
खामोशी दिलों के हाल बयाँ करती है
जो कह न सके ज़ुबाँ वो कहा करती है।
रोशनी में चिरागों की जरूरत है क्या
जब अँधेरों में बातियाँ जला करती हैं।
जज्बातों का बवंडर उठ रहा है अंदर
अब ऐ तेरी खामोशियाँ कहा करती हैं।
नींदों की जरूरत आँखों को थी कहाँ
तेरे ख्वाबों की खातिर सोया करती हैं।
