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Prasanna Koppar

Romance

4  

Prasanna Koppar

Romance

ख़ामोशी

ख़ामोशी

1 min
29


ख़ामोशी तुम्हारी ख़ामोशी ही सेह नहीं पाता हूं

गुस्सा करो चिल्लाओ मारो बस ये चुप्पी सेह नहीं पाता हूं


सिले हुए लफ़्ज़ बेशब्द ज़ुबान सेह नहीं पाता हूं

बात तो करना चाहता हूं डरता हूं इसलिए कह नहीं पाता हूं


अब यह ख़ामोशी सही नहीं जाती बोल दो

तोड़ भी दो चुप्पी कह भी दो दिल की बात


हां होगी तो दुनिया की हर मुश्किल पार कर लूंगा

ना होगी तो ज़िंदगी तुम्हारी यादों के सहारे पार कर लूंगा।


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