इंतज़ार
इंतज़ार
जो भी हो जैसे भी हो मुझे मंजूर है
आंखों से नहीं दिल से चाहा है हर सितम कबूल है
तुम्हारी हर बात हर जज्बात इस दिल को कबूल है
हर आदत हर चिड़चिड़ापन मुझे मंजूर है
दिल से चाहा है तुम्हें कोई ठेस नहीं पहुंचेगी
दिल से दुआ है तुम्हें कोई चोट नहीं पहोंचेगी
दिल ने कहा है दिल की सुनो
बस यह इंतज़ार यह खामोशी मंजूर नहीं।