खामोश मत रहो
खामोश मत रहो
खामोश मत रहो
राज-ए-दिल खोल भी दो,
इन कानों ने इंतेज़ार झेला है
अब दिल की बाते जुबां पे ला भी दो।
नजरे बयां कर रही है
अंदाज़ तुम्हारे,
बेताब है सुनने को दास्तां कोई
और रहा नही जाता हमसे।
चेहरे बयां कर रही है
हसरत तुम्हारी,
वक़्त न पड़ जाए कम
पुरि करो बातें जो थी अधुरी।
खामोश मत रहो
राज ए दिल खोल भी दो,
अब तुम्हारे अल्फाजों को
शब्दों का सहारा दे भी दो।।